गर्भावस्था में नियमित जाँच routine check-up in pregnancy

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गर्भावस्था में नियमित जाँच routine check-up in pregnancy

जब भी आप प्रेगनेन्सी के बारे में सोचें उसके पहले आपको अवष्य एक बार जाकर डाॅक्टर से जाँच कराना चाहिए और डाॅक्टर आपका चेक अप कर आपको कुछ सामान्य जाँचे जैसे हीमोग्लोबिन , थायराईड , एच. आई. वी. और यदि परिवार में किसी को डायबिटिस है तो शुगर की जाँचे करवाने को कह सकते है। साथ ही आपको फॅालिक एसीड की एक गोली रोज खाने को देंगे।

  • जैसे ही गर्भ ठहरे कुछ दिनो में आपको डॅाक्टर के पास जाना चाहिए। इस समय आपका वजन, ब्लड प्रेषर इत्यादि लिया जाता है व फॅालिक एसीड की एक गोली खाना खाने के बाद दी जाती है। यह पहले तीन महीने जरूर लेना चाहिए क्योकि यह बच्चे के विकास में मदद करती है साथ ही जन्मगत विकृतियों से बचाती है।
  •  गर्भ के दौरान पहले 7 महिने तक महिने मे एक बार व 7 महिने बाद हर 15 दिन में व 9 वे महिने में हर 7 वें दिन में जाँच करानी चाहिए।
  •  यदि गर्भाावस्था के साथ कुछ जटिलतायें (Risk) जैसे हाईब्लडप्रेषर, जेस्टेषनल डायबिटिस या जुड़वा बच्चे है तो आपको (Frequent visits) अपेपजेद्ध जल्दी भी बुलाया जा सकाता है।
  • पौष्टिक आहार- गर्भवती महिला पहले तीन महिनों में घबराहट व उल्टियों के कारण ठीक से एक बार में खाना नही खा पाती है अतः उन्है थोड़ा -थोड़ा , बार-बार खाना चाहिए। पानी की मात्रा बराबर रखने के लिए , पानी , नारियल पानी व ताजे फलों का रस व दुध ले सकते है। इन तीन महिनों में बच्चे का विकास बहुत कम होता है अतः गर्भवती महिला को उतनी ही केलोरीस की आवष्यकता होती है जितनी की सामान्य महिला को (1800 केलोरी प्रति दिन)।
  • बच्चे का सर्वाधिक विकास आखिर के 3-4 महिनों में होता है । इस समय गर्भवती महिला को पौष्टिक व सन्तुलित आहार की आवष्यकता होती है। इस समय सामान्य से 400 केलोरी अधिक की आवष्यकता होती है। एक सामान्य गर्भवती महिला को किस तरह का आहार लेना चाहिए।

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