गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण , समस्याएँ व निदान

गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण , समस्याएँ व निदान

गर्भावस्था के प्रारंभिक 1 से 3 माह में निम्न लक्षण होते है:-

  • कमजोरी होना ।
  • अच्छा नही लगना।
  • सोते रहने की इच्छा होना।
  • चिड़चिड़ापन होना ।
  • सुबह – सुबह जी घबराना ।
  • अक्सर जी घबराते रहना व उल्टी होना।
  • स्तन में दर्द व भारीपन होना।
  • खाना अच्छा न लगना व खाने में स्मेल (बुरी गन्ध) आना ।
  • कब्ज होना ।
  • बार-बार पेषाब आना।

सलाहः
उपरोक्त बताए लक्षण अधिकतर पहले 2.5 से 3 माह तक रहते है व उसके बाद धीरे-धीरे लक्षणों की तीव्रता कम हो जाती है व 3 माह बाद पूर्ण-रूप से समाप्त हो जाते है। ये लक्षण गर्भावस्था के समय होने वाले हार्मोन्स के परिवर्तन के कारण होते है।

1. खाली पेट ना रहे, थोड़ा-थोड़ा बार-बार खावें। जब भी घबराहट जैसा लगे, कुछ खावें।
2. सुबह अधिक घबराहट हो तो , Brush करने से पूर्व कुछ खा लेवें।
3. रात में यदि नींद खुल जावें और घबराहट हो तो कुछ बिस्किट या नाष्ता करें।
4. खाने के साथ अधिक पानी ना पिए, आधे घंटे बाद पिये।
5. उसके बाद भी घबराहट व उल्टी कन्ट्रोल में ना हो तो अपने डाॅक्टर से सलाह लेवे, और medicines नियमित लेवे।
6. डाॅक्टर के परामर्ष के बिना कोई भी medicines न लेवे।
7. कब्जियत से बचने के लिए तरल पदार्थ जैसे पानी, नारियल पानी , ज्यूस व सलाद लेवे फिर भी कब्ज में आराम न हो तो अपनी चिकित्सक से परामर्ष लेवे।
8. हल्का व्यायाम व थोड़ा पैदल चले।
9. गर्भावस्था में सामान्यतः आराम करने को नही कहा जाता है परंतु इस दौरान रक्त स्त्राव (Bleeding), पूर्व में गर्भापात हुआ हो या ब्लड प्रेषर बढ़ा हुआ हो , तो ही महिला को आराम करने की सलाह दी जाती है।
10. गर्भावस्था के समय षारीरिक संबंध बनाने को मना नही किया जाता है पर यदि गर्भ के दौरान रक्त स्त्राव या समय से पूर्व प्रसव पीड़ा (Labour Pains) की problem हो तो संबध नही बनाना चाहिए।
11. गर्भावस्था के प्रारंभिक 1-2 माह में बार – बार पेषाब आना समान्य स्थिति है, अतः परेषान न हो न ही तनाव में रहे। परंतु यदि पेषाब में जलन , दर्द , खून आना, ठण्ड लगकर बुखार हो तो डाॅक्टर की सलाह अवष्य लेवे।

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